सर्वधर्म – सद्-भाव पर आधारित आपके आचरण ने यहाँ के सामाजिक – सास्कृत जीवन ने आपको अत्यन्त आदरणीय बना दिया है ।एवं हर व्यक्ति आपके प्रति श्रध्दावनत है ।
किसी भी वर्ग के सामाजिक – सांस्कृतिक आयोजन में प्राय: उपस्थित होकर आपने यहां के सम्पूर्ण समाज को सुखद सामाजिक के भावनात्मक स्वर्ण – सूत्र से जोड दिया है आप यहां के भावत्यक के प्रतिक महापुरूष है ।
आपने वि. सं. 2035 चैत्र शुक्ल द्वितिया ( 10 अप्रेल 1978 ) को इस सिध्दपिठ ( धर्मस्थली ) सिरेमन्दिर पर 7 दिवसीय महारूद्र यज्ञ करवाया , इस भव्य आयोजन के प्रत्यक्षदर्शी अपने अनुभवों के बारे में बताते है । कि उन्होनें जालौर की पावन धरा पर इससे पहले ऐसी आस्था का महाकुंभ कभी भी नही देखा था । जिसमें श्रध्दालुओं का इतना जन सेलाब उमडा की आयोजन स्थल पर पैर रखने की जगह नही थी ।
इस पावन तीर्थ सिरेमन्दिर के विकास के तो आप विश्वकृर्मा रूप ही है । आपने सम्पूर्ण सिरेमन्दिर धाम को नया रूप दिया है यहा पर भवन निर्माण का कार्य चलते ही रहता है , और आज भी चल रहा है ।
आपने श्री केशरनाथजी महाराज की तपोस्थली चितहरणी ( भागली ) को नया रूप दिया वहा पर आपने श्री केशरनाथजी महाराज का मन्दिर ( झूपी ) , केशरनाथजी महाराज की तपोस्थली ( भंवर गुफा ) का निर्माण , महादेवजी का मन्दिर और झालरे का निर्माण करवाया । और जालौर भैरूनाथजी के अखाडा में भी बहुत सा निर्माण कार्य करवाया ।
आपने सिरेमन्दिर , भैरूनाथजी का अखाडा जालौर और चित्- हरणी भागली में तो इतना निर्माण कार्य करवाया है जिसका पुरा वर्णन में यहा पर नही कर रहा हूँ ।
आपने गाँव गाँव में श्री जलंधरनाथजी महाराज के मन्दिरों का निर्माण करवाया जिसमें मुख्यत: भागली में केशरनाथजी महाराज का मन्दिर , जलधंरनाथजी का मन्दिर , जूनी भागली में गणेश नाथजी का मन्दिर , हनुमानजी का मन्दिर , बाबा रामदेवजी का मन्दिर , माताजी का मन्दिर आदि ।
और रेवत , आवलोज , कतरासन , कलापुरा , गोल , चूरा , डाँगरा , तडवा , तरोड , नाडी ,तीखी , दांतवाडा , देसूज ,धाणसा , नरपडा , पहाडपुरा , बागरा , बालवाडा , विशनगढ , बैरठ , मोक , माँडवला , मोदरा , रायथल , रेवतडा , सरत , सायला आदि । ये सब गाँव जालौर में है
और जोधपुर में बालेसर और सेंखला गाँव में जलंधरनाथजी के मन्दिर बनवाये ।
गुजरात में डूँआ , नेनावा और सराल गाँव में नाथजी के मन्दिर बनवाये ।
और गाँव गाँव में भगवान विष्णुजी और शिवजी के मन्दिर भी बनवाये जिसमें भागली , तडवा , पीजोपरा , सरूपपुरा ,पहाडपुरा , बैरठ , वासण , सोमतीपुरा , तीखी आदि ।
● आपने जालौर में राठौडों की कुलदेवी नागणेश्वरी माताजी का भव्य मन्दिर और प्रवेश द्वार क्षैत्रिय राठौडों के सहयोग से बनवाया ।