900 साल पुराना सुंधा माता का मंदिर, महाराणा प्रताप ने यहीं ली थी शरण

राजस्थान अपने पर्यटन क्षेत्रों के साथ ही ऐतिहासिक किलों, इमारतों और मंदिरों के बेजोड़ नमूनों के लिए जाना जाता है। तनोट माता, ईडाणा माता समेत प्रदेश में देवी के कई चमत्कारी मंदिर हैं, जहां पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं। इन्हीं में से एक हैं, जालोर के सुंधा पहाड़ियों में स्थित मां सुंधा का मंदिर। 1200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर एक पवित्र धार्मिक स्थल है। मान्यता है कि मां चामुंडा के इस मंदिर में श्रद्धालु कभी खाली हाथ और निराश नहीं लौटते हैं।

Navratri 2022 900 years old Sundha Mata Temple in Jalore of Rajasthan
सुंधा माता का मंदिर – फोटो : Social Media
मंदिर के चारो ओर बहता है झरना
मां चामुंडा देवी का यह मंदिर 900 साल से भी अधिक पुराना है। यह मंदिर हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल से 20 किमी दूर है। अरावली की पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। इसके चारों तरफ कलकल बहते झरने मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।

Navratri 2022 900 years old Sundha Mata Temple in Jalore of Rajasthan
पहाड़ों पर स्थित है सुंधा माता मंदिर – फोटो : Social Media
महाराणा प्रताप ने सुंधा माता की ली थी शरण
कहा जाता है कि त्रिपुर राक्षस का वध करने के लिए आदि देव ने सुंधा पर्वत पर ही तप किया था। इसके अलावा चामुंडा माता की मूर्ति के पास एक शिवलिंग स्थापित है। मंदिर से जुड़ा एक और इतिहास है, जो इसकी महत्वता को बढ़ा देता है। साल 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध के बाद मेवाड़ शासक महाराणा प्रताप ने अपने कष्ट के दिनों में सुंधा माता की शरण ली थी।

Navratri 2022 900 years old Sundha Mata Temple in Jalore of Rajasthan
सुंधा माता मंदिर – फोटो : Social Media
यह भी कहा जाता है कि जालोर के चौहान शासकों का सुंधा माता के प्रति विशेष आदर भाव रहा है। इसी श्रद्धा के कारण उदयसिंह के पुत्र चाचिगदेव ने इस मंदिर का निर्माण संवत 1312 में करवाया। 1319 में अक्षय तृतीया के दिन विधि-विधान से मां चामुंडा की प्रतिष्ठा करवाई गई।